There is more to life than just increasing its speed. STOP for a while,THINK a little and then GO.
Wednesday, January 19, 2011
मोटी मलाई पर सबकी नजर
हांकी को चौपट करने के बाद अब खेल मंत्रालय का दिल क्रिकेट पर आ गया है. मंत्रालय खेलों को रेगुलेट करने के नाम पर बीसीसीआई पर यह दबाव बनाने में जुटा है कि बीसीसीआई खुद को खेल मंत्रालय के अन्तर्गत रजिस्टर कराये. हाल ही में हम सभी ने यह अच्छी तरह देख परख लिया है कि खेलों को रेगुलेट करने में सरकार कितनी सक्षम है. कामनवेल्थ खेलों मे सभी ने सरकार की रेगुलेशन पावर को काफी करीब के देखा है. यह भी देखा है कि खेल तो खेल सरकार सीबीआई को भी रेगुलेट कर लेती है. बस नही कर पाती है तो भ्रस्टाचार को, मंहगाई को, गरीबी को, बेरोजगारी को और काले धन को. आश्चर्य़ की बात है कि अच्छी तरह चल रहे क्रिकेट बोर्ड को सरकार रेगुलेट करना चाहती है. बीसीसीआई अपने आप में एक स्वायत्त संस्था है जो अपने खिलाड़ियों के वेलफेयर का पूरा ख्याल रखती है. इसी संस्था ने क्रिकेट को फर्श से अर्श पर ला कर खड़ा किया. धोनी और पठान जैसे खिलाड़ियों को छोटे शहरो से लाकर स्टार बना दिया. आज बीसीसीआई की बनाई यही क्रिकेट टीम दुनिया की नंबर 1 टीम मानी जाती है. इसे बीसीसीआई का मैनेजमेंट ही कहना चाहिये कि आईसीसी में इंडिया की तूती बोलती है. अब जब इस तरह की कोई संस्था सुचारू रुप से खेल को नये आयामों तक ले जाने में सक्षम हो गई है तो मंत्रियों, अफसरों और उनकी बीबियों को बीसीसीआई मोटी मुर्गी की तरह नजर आने लगी है जिसके हांथ लगते ही उन्हे मुफ्त विदेशी ट्रिपें और फ्री पार्टियां आसानी से मिलने लगेंगी. समझ नही आता कि सुरेश कलमाड़ी जैसे किसी रेगुलेटर को लगा कर सरकार क्या रेगुलेट कर लेगी?
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