जिस तरह अखबार के पहले पन्ने पर तारीख पड़ी होना तय होता है, रेलगाड़ी से कुचलकर सिक्के का बड़ा होना (और बचपन तक ये समझना की वो चुम्बक बन जाता है) तय होता है और जिस तरह यह तय होता है कि डेयरी मिल्क के ऐड में चाकलेट ही दिखेंगी सूखी रोटियाँ नहीं और उनको देखकर लड़कियों का चोकलेट खाने का मन हो जाना तय होता है. जिस तरह इन्डिया पकिस्तान मैच का लड़ जाना तय होता है, गांगुली का आगे बढ़ कर शाट खेलने पे छक्का लगना तय होता है वैसे ही प्यार का भी पहली नजर में ही हो जाना लगभग तय होता है.
खैर इन सब बातों में कोई भी बात ऐसी नहीं है कि ना हो तो आफत आ जाये. मसलन गांगुली आगे बढे और बोल्ड हो जाये, सिक्का चुम्बक बन जाये और ट्रेन बनकर चला जाये, अखबार का डिजाइनर तारीख छापना ही भूल जाये और अगले दिन नौकरी गंवा दे या फिर डेयरीमिल्क के विज्ञापन में चाकलेट की जगह नमक रोटी दिखाई जाये और उसे भी देखकर फुटपाथ पर बैठ कर अपनी अम्मा के जुए हेरती राधा के मुह में आधा लीटर पानी न आ जाये. मगर मै अगर गांजा ना पियूं तो यह आफत और हैरानी वाली बात है. मगर ये होगी और आप परेशान भी हो जाओगे. उस दिन मै बिना गांजा पिए सो गया. ..
जब मैंने तीसरे दिन भी गांजा पिया और मेरा मोबाइल प्लीज रिचार्ज योर बैटरी की गुहार लगाता हुआ, योर फोन इज आउट आफ बैटरी बोलकर बंद हो गया तब उसको मेरी बहुत जोर जोर से याद आई. उसको मेरी याद बहुत जोर से ही आती थी. वैसे ही जैसे निशा को भूख लगते ही डेयरी मिल्क की याद आती है, जुये बीनती राधा को कार के अन्दर बैठी निशा को आइसक्रीम खाते देखकर नमक रोटी की याद आती है, और कई दिनों तक कमरे मे बंद पड़े रहने के बाद और योर फोन इस आउट आफ बैटरी बताकर सोए मेरे डिस्सिपलिंड़ फोन के बंद रहने पर तारीख देखने के लिये मुझे अखबार की... याद आती है. मगर हर बार फोन आन करने के बाद पहला और आखिरी फोन मैं उसे ही करता हूं.
वो कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हूं कि क्या वो गांजा पीती थी. वो हंसती है और कहती है, नहीं वो प्यार करती थी और यादें पीती थी. मैं चुप रहता हूं.
मेरे फोन का बिल बढ़ता रहता है. वो कहती है कि मैं रिलाइन्स क्यूं नहीं ले लेता. मैं कुछ नहीं कहता हूं. वो बोलती है कि उससे फ्री में बाते हो जाती हैं. मुझे फ्री की बातों पर यकीन नहीं होता है. मै सोंचता हूं कि फ्री की बातें मजेदार नहीं होती होंगी. उनमें वैसी फीलिंग नहीं आती होगी. वो कहती है कि मैं पागल हूं. मैं उसे पगलिया कह देता हूं. वो हंसने लगती है.
हम देर देर तक चुप रहते हैं. हमारे बीच कुछ नहीं रहता बातों के लिये. मैं कभी कभी उसके पति के बारे में पूछ देता हूं. मैं उसे अंकल जी कहता हुं. वो मेरी गर्लफ्रेण्ड कभी आंटी जी नहीं कहती. वह खुश रहती है. अब उसे उदास देखने का मन करता है. मेरी उदासी पर भी वो उदास नहीं होती. वो मां बन रही है. वो खुश है.
उसने पूछा आज होली है, क्या किया आज. मैं पूछता हुं कोई कविता याद है. वो पूछती है होली की कविता. मैं नहीं बोलता. वो समझ जाती है. मैं कहता हुं मुझे उसकी कविता सुननी है. उसे याद नहीं आती. मुझे भी उसकी कोई कविता याद नहीं रहती. मुझे तो कुछ भी याद नहीं रहता. वो कहती है कि तुम्हे आजकल कुछ भी याद नहीं रहता. मैं कहता हूं होली पर उन दिनों हमने क्या किया. होली की कुछ बातें याद दिलाओ. वो हंसने लगती है. फिर चुप हो जाती है.
उसे पता है कि मुझे उसका हसना अच्छा लगता है. उसे यह भी पता है कि मुझे उसका हसना बुरा लगा. वो कहती है कि एक होली पर वो मेरे घर आई थी. मुझे हर बार की तरह कुछ याद नहीं रहता. फिर मुझे याद आ जाता है. मैं कहता हू वो बुरी यादें थीं. वो पूंछती है कि मेरी गर्लफ्रेण्ड कैसी है. मैं बताता हूं मैं अकेला रहना चाहता हूं. वो कहती है तुम सबको टहला कर छोड़ देते हो. हम चुप हो जाते हैं फिर हम हसने लगते हैं.
वो कहती है कि मैं भुलक्ड़ हूं. मैं कहता हूं कि नहीं मुझे उसे स्कूल से घर लाना याद है, आरके इण्टर कालेज के सामने देर तक इंतजार कराना याद है, तिवारी की दुकान पर गुझिया खिलाना याद है. वो कहती है गुझिया नहीं कोल्ड्रिंक पिलाई थी तुमने. थम्सअप की छोटी वाली बोतल. मैं फिर से हंस देता हूं. मैं चुप रहता हुं. मैं देर तक चुप रहता हूं. मैं फोन काट देता हूं. एक मिनट बाद मैं फिर से फोन मिलाता हूं. वो पूंछती है कि क्या कोई आ गया था. तो फिर फोन क्यूं काट दिया था. मैं कहता हूं कि मेरा मन. वो सोंचती है कि मैं रो रहा था. मैं भी उसे सोंचने देता हूं. वो मुझसे पूंछती नहीं है. मै उसे बताता भी नहीं हूं.
तभी वो फिर से कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हुं कि वो कैसी थी. वो कहती है कि मैं उसके जैसा न बनूं. मैं बताता हूं कि मेरा बैलेन्स खत्म होने वाला है. वो कहती है कि उसके मोबाइल में सिर्फ 1 रूपये 11 पैसे हैं. वो मुझे फोन करती है. मैं पूंछता हूं कि उसके जैसा बनने में क्या बुराई है. वो परेशान हो जाती है.
वो कुछ नहीं बोलती. मैं पूंछता हूं कि क्या वो खुद को प्यार नहीं करती है. वो कहती है कि करती है मगर मुझसे ज्यादा नहीं. मैं चुप रहता हूं. उसका फोन कट जाता है. मैं सोचता रहता हूं. मैं गांजा नहीं पीता. मैं सो जाता हूं.
खैर इन सब बातों में कोई भी बात ऐसी नहीं है कि ना हो तो आफत आ जाये. मसलन गांगुली आगे बढे और बोल्ड हो जाये, सिक्का चुम्बक बन जाये और ट्रेन बनकर चला जाये, अखबार का डिजाइनर तारीख छापना ही भूल जाये और अगले दिन नौकरी गंवा दे या फिर डेयरीमिल्क के विज्ञापन में चाकलेट की जगह नमक रोटी दिखाई जाये और उसे भी देखकर फुटपाथ पर बैठ कर अपनी अम्मा के जुए हेरती राधा के मुह में आधा लीटर पानी न आ जाये. मगर मै अगर गांजा ना पियूं तो यह आफत और हैरानी वाली बात है. मगर ये होगी और आप परेशान भी हो जाओगे. उस दिन मै बिना गांजा पिए सो गया. ..
जब मैंने तीसरे दिन भी गांजा पिया और मेरा मोबाइल प्लीज रिचार्ज योर बैटरी की गुहार लगाता हुआ, योर फोन इज आउट आफ बैटरी बोलकर बंद हो गया तब उसको मेरी बहुत जोर जोर से याद आई. उसको मेरी याद बहुत जोर से ही आती थी. वैसे ही जैसे निशा को भूख लगते ही डेयरी मिल्क की याद आती है, जुये बीनती राधा को कार के अन्दर बैठी निशा को आइसक्रीम खाते देखकर नमक रोटी की याद आती है, और कई दिनों तक कमरे मे बंद पड़े रहने के बाद और योर फोन इस आउट आफ बैटरी बताकर सोए मेरे डिस्सिपलिंड़ फोन के बंद रहने पर तारीख देखने के लिये मुझे अखबार की... याद आती है. मगर हर बार फोन आन करने के बाद पहला और आखिरी फोन मैं उसे ही करता हूं.
वो कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हूं कि क्या वो गांजा पीती थी. वो हंसती है और कहती है, नहीं वो प्यार करती थी और यादें पीती थी. मैं चुप रहता हूं.
मेरे फोन का बिल बढ़ता रहता है. वो कहती है कि मैं रिलाइन्स क्यूं नहीं ले लेता. मैं कुछ नहीं कहता हूं. वो बोलती है कि उससे फ्री में बाते हो जाती हैं. मुझे फ्री की बातों पर यकीन नहीं होता है. मै सोंचता हूं कि फ्री की बातें मजेदार नहीं होती होंगी. उनमें वैसी फीलिंग नहीं आती होगी. वो कहती है कि मैं पागल हूं. मैं उसे पगलिया कह देता हूं. वो हंसने लगती है.
हम देर देर तक चुप रहते हैं. हमारे बीच कुछ नहीं रहता बातों के लिये. मैं कभी कभी उसके पति के बारे में पूछ देता हूं. मैं उसे अंकल जी कहता हुं. वो मेरी गर्लफ्रेण्ड कभी आंटी जी नहीं कहती. वह खुश रहती है. अब उसे उदास देखने का मन करता है. मेरी उदासी पर भी वो उदास नहीं होती. वो मां बन रही है. वो खुश है.
उसने पूछा आज होली है, क्या किया आज. मैं पूछता हुं कोई कविता याद है. वो पूछती है होली की कविता. मैं नहीं बोलता. वो समझ जाती है. मैं कहता हुं मुझे उसकी कविता सुननी है. उसे याद नहीं आती. मुझे भी उसकी कोई कविता याद नहीं रहती. मुझे तो कुछ भी याद नहीं रहता. वो कहती है कि तुम्हे आजकल कुछ भी याद नहीं रहता. मैं कहता हूं होली पर उन दिनों हमने क्या किया. होली की कुछ बातें याद दिलाओ. वो हंसने लगती है. फिर चुप हो जाती है.
उसे पता है कि मुझे उसका हसना अच्छा लगता है. उसे यह भी पता है कि मुझे उसका हसना बुरा लगा. वो कहती है कि एक होली पर वो मेरे घर आई थी. मुझे हर बार की तरह कुछ याद नहीं रहता. फिर मुझे याद आ जाता है. मैं कहता हू वो बुरी यादें थीं. वो पूंछती है कि मेरी गर्लफ्रेण्ड कैसी है. मैं बताता हूं मैं अकेला रहना चाहता हूं. वो कहती है तुम सबको टहला कर छोड़ देते हो. हम चुप हो जाते हैं फिर हम हसने लगते हैं.
वो कहती है कि मैं भुलक्ड़ हूं. मैं कहता हूं कि नहीं मुझे उसे स्कूल से घर लाना याद है, आरके इण्टर कालेज के सामने देर तक इंतजार कराना याद है, तिवारी की दुकान पर गुझिया खिलाना याद है. वो कहती है गुझिया नहीं कोल्ड्रिंक पिलाई थी तुमने. थम्सअप की छोटी वाली बोतल. मैं फिर से हंस देता हूं. मैं चुप रहता हुं. मैं देर तक चुप रहता हूं. मैं फोन काट देता हूं. एक मिनट बाद मैं फिर से फोन मिलाता हूं. वो पूंछती है कि क्या कोई आ गया था. तो फिर फोन क्यूं काट दिया था. मैं कहता हूं कि मेरा मन. वो सोंचती है कि मैं रो रहा था. मैं भी उसे सोंचने देता हूं. वो मुझसे पूंछती नहीं है. मै उसे बताता भी नहीं हूं.
तभी वो फिर से कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हुं कि वो कैसी थी. वो कहती है कि मैं उसके जैसा न बनूं. मैं बताता हूं कि मेरा बैलेन्स खत्म होने वाला है. वो कहती है कि उसके मोबाइल में सिर्फ 1 रूपये 11 पैसे हैं. वो मुझे फोन करती है. मैं पूंछता हूं कि उसके जैसा बनने में क्या बुराई है. वो परेशान हो जाती है.
वो कुछ नहीं बोलती. मैं पूंछता हूं कि क्या वो खुद को प्यार नहीं करती है. वो कहती है कि करती है मगर मुझसे ज्यादा नहीं. मैं चुप रहता हूं. उसका फोन कट जाता है. मैं सोचता रहता हूं. मैं गांजा नहीं पीता. मैं सो जाता हूं.
No comments:
Post a Comment