Sunday, March 27, 2011

Libya: Is 2000 years Old History going to be revised?



A country remained divided for 2,000 years then united by Mussolini and now going to divide after Civil War.



It is said that history like fashion always revises itself. Here is an example. Libya, a country until Italian takeover of 1911 was never alike. When UK’s minister of state of Armed Forces Nick Harvey suggested an Idea of dividing Libya into two regions, he revoked a strong historical pedigree.


Historically, Benghazi is part of Cyrenaica which was founded in the 7th century BC by Greek colonists around the ancient city of Cyrene whereas Tripoli, geographically long distant (1,200 miles to the West from Benghazi), was founded by Carthaginians, who wanted to trade with the indigenous Berber tribesmen.

Due to these cultural and geographical distances, over two millennia both colonies maintained their separate identities. Cyrenaica was influenced by Greek culture and developed a reputation for arts, crafts; medicine and learning while followed their founders, Carthaginians and focused on their commercial skills. 



The Roman historian Plutarch described the Carthaginians as ‘coarse and gloomy, submissive to those who govern them and despotic to those they govern’.

There were no trades between the Benghazi (East) and Tripoli (West) reason being the long travel distance between the two. The sea route was also not favoured by the prevailing winds.

In later years of Persian, Egyptian and Macedonian regime also, the two regions stayed apart. Then Romans rolled in, they ruled Tripolitania province directly but joined Cyrenaica to their existing province of Crete. 



Though apart from this distance, Tripoli and Benghazi shared a common language and legal system and continued to develop separately.

The East held close touch with Christianity until the marauding Vandals. In later years Arab invaders and Ottoman Turks suppressed those who followed the religion.

Tripoli became one of the great cities of the region under the Ottomans. Its population was predominantly Moorish and Muslim. West stayed rich, largely through piracy and the slave trade, which was allowed to continue until 1890.



In 20th century picture has changed and in 1911, Italy occupied it and divided it into three colonies named as Tripolitania, Cyrenaica, and southern Fezzan. In 1934, Mussolini combined the three and formed a new country named Libya.

Libya remained united, untill today under the ruling of King Idris and Muammar Gaddafi. Any division due to current civil unrest will be a repeat case of history only, nothing else.


( This article has been published first in I-Next Live)

Alok Dixit
Journalist

Threatened by their own Guns


It’s really surprising to know that Colonel Gaddafi will shoot at UK troops with weapons supplied with help from Tony Blair. The news coming from UK media says that a contract was signed between Gaddafi and then PM Toni Blair.
People, a famous newspaper in UK says, “When Mr Blair was Prime Minister he played a major role in a 350million deal to give the evil dictator anti-tank missiles and the latest battlefield radio system. Chancellor Gordon Brown would have gone even further, allowing the supply of the latest Rapier anti-aircraft missiles.”

It says that the potential consequences for coalition aircraft currently overflying Libya could be worst if the deal had gone through. Deals were pending for a lethal system, named Jernas, fires Rapier II missiles which have a range of 5 miles and a top speed of 1,800mph.

It is fortunate for Britain and NATO allies that the Libyan leader pulled out of the Rapier contract negotiated when Mr Blair visited Col Gaddafi in Sirte in Libya in 2007. The contracts with missile maker MBDA and General Dynamics UK were signed following negotiations to release the Lockerbie bomber.
MBDA, part-owned by British Aerospace, won a s147m order for anti-tank missiles and a s112m deal for communications gear.

General Dynamics UK (GDUK) was given a deal worth s85m to supply the Libyan army with Bowman battlefield radios.

Decorated Army colonel and Tory MP Patrick Mercer expressed his concern that its a sorry state of affairs that UK forces and the Libyan people are now threatened with arms sold to them by their Prime Minister.

Does ‘Netaji’ not eat Ice-cream?


A report published in DARE says that India has a low per capita ice cream consumption of 300 ml per annum. According to the report the trend is slowly changing due to a number of reasons. I thought why shouldn’t I find out how often politicians in India eat ice-cream. Believe me, I found none.



We used Google search to get pictures of Indian politicians but every time Mr. Obama teased us with his choppy choppy images. We found Michelle Obama chumming with her son and daughter and flavoring Vanilla on the roadside. I should say Obama family tops the list of Ice-cream lover politicians.


Apart from Obama I saw Joe Biden bantered with his manager at Kopp's Frozen Custard. Mr. Bush was maintaining an aura of grace and poise at all times with an ice-cream in his hand. In one of such pictures Prime Minister of Italy Mr. Silvio Berlusconi looks like a creep with ice cream.


I didn’t stop here. I was worried about our country, India and more of politicians. I searched for few site exclusively running information regarding politicians eating ice-creams. It’s a matter of great surprise, I found few.


A site www.politicianseatingicecream.tumblr.com  is a dedicated site serving information on politicians who eat ice creams in public. www.huffingtonpost.com  serves 45 exclusive pictures of politicians with a ice-cream cone in their hands.


Though we couldn’t find any Indian Uncle at the end (maybe Obama eat all of it). But no worries, I stole few pictures for you, thought you would definitely like it.





(This article is first published in I-Next Live website)

Alok Dixit
Journalist
Dainik Jagran


Monday, March 21, 2011

तुम बहुत भुलक्कड़ हो

जिस तरह अखबार के पहले पन्ने पर तारीख पड़ी होना तय होता है, रेलगाड़ी से कुचलकर सिक्के का बड़ा होना (और बचपन तक ये समझना की वो चुम्बक बन जाता है) तय होता है और जिस तरह यह तय होता है कि डेयरी मिल्क के ऐड में चाकलेट ही दिखेंगी सूखी रोटियाँ नहीं और उनको देखकर लड़कियों का चोकलेट खाने का मन हो जाना तय होता है. जिस तरह इन्डिया पकिस्तान मैच का लड़ जाना तय होता है, गांगुली का आगे बढ़ कर शाट खेलने पे छक्का लगना तय होता है वैसे ही प्यार का भी पहली नजर में ही हो जाना लगभग तय होता है.

खैर इन सब बातों में कोई भी बात ऐसी नहीं है कि ना हो तो आफत जाये. मसलन गांगुली आगे बढे और बोल्ड हो जाये, सिक्का चुम्बक बन जाये और ट्रेन बनकर चला जाये, अखबार का डिजाइनर तारीख छापना ही भूल जाये और अगले दिन नौकरी गंवा दे या फिर डेयरीमिल्क के विज्ञापन में चाकलेट की जगह नमक रोटी दिखाई जाये और उसे भी देखकर फुटपाथ पर बैठ कर अपनी अम्मा के जुए हेरती राधा के मुह में आधा लीटर पानी जाये. मगर मै अगर गांजा ना पियूं तो यह आफत और हैरानी वाली बात है. मगर ये होगी और आप परेशान भी हो जाओगे. उस दिन मै बिना गांजा पिए सो गया. ..

जब मैंने तीसरे दिन भी गांजा पिया और मेरा मोबाइल प्लीज रिचार्ज योर बैटरी की गुहार लगाता हुआ, योर फोन इज आउट आफ बैटरी बोलकर बंद हो गया तब उसको मेरी बहुत जोर जोर से याद आई. उसको मेरी याद बहुत जोर से ही आती थी. वैसे ही जैसे निशा को भूख लगते ही डेयरी मिल्क की याद आती है, जुये बीनती राधा को कार के अन्दर बैठी निशा को आइसक्रीम खाते देखकर नमक रोटी की याद आती है, और कई दिनों तक कमरे मे बंद पड़े रहने के बाद और योर फोन इस आउट आफ बैटरी बताकर सोए मेरे डिस्सिपलिंड़ फोन के बंद रहने पर तारीख देखने के लिये मुझे अखबार की... याद आती है. मगर हर बार फोन आन करने के बाद पहला और आखिरी फोन मैं उसे ही करता हूं.

वो कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हूं कि क्या वो गांजा पीती थी. वो हंसती है और कहती है, नहीं वो प्यार करती थी और यादें पीती थी. मैं चुप रहता हूं.

मेरे फोन का बिल बढ़ता रहता है. वो कहती है कि मैं रिलाइन्स क्यूं नहीं ले लेता. मैं कुछ नहीं कहता हूं. वो बोलती है कि उससे फ्री में बाते हो जाती हैं. मुझे फ्री की बातों पर यकीन नहीं होता है. मै सोंचता हूं कि फ्री की बातें मजेदार नहीं होती होंगी. उनमें वैसी फीलिंग नहीं आती होगी. वो कहती है कि मैं पागल हूं. मैं उसे पगलिया कह देता हूं. वो हंसने लगती है.

हम देर देर तक चुप रहते हैं. हमारे बीच कुछ नहीं रहता बातों के लिये. मैं कभी कभी उसके पति के बारे में पूछ देता हूं. मैं उसे अंकल जी कहता हुं. वो मेरी गर्लफ्रेण्ड कभी आंटी जी नहीं कहती. वह खुश रहती है. अब उसे उदास देखने का मन करता है. मेरी उदासी पर भी वो उदास नहीं होती. वो मां बन रही है. वो खुश है.

उसने पूछा आज होली है, क्या किया आज. मैं पूछता हुं कोई कविता याद है. वो पूछती है होली की कविता. मैं नहीं बोलता. वो समझ जाती है. मैं कहता हुं मुझे उसकी कविता सुननी है. उसे याद नहीं आती. मुझे भी उसकी कोई कविता याद नहीं रहती. मुझे तो कुछ भी याद नहीं रहता. वो कहती है कि तुम्हे आजकल कुछ भी याद नहीं रहता. मैं कहता हूं होली पर उन दिनों हमने क्या किया. होली की कुछ बातें याद दिलाओ. वो हंसने लगती है. फिर चुप हो जाती है.

उसे पता है कि मुझे उसका हसना अच्छा लगता है. उसे यह भी पता है कि मुझे उसका हसना बुरा लगा. वो कहती है कि एक होली पर वो मेरे घर आई थी. मुझे हर बार की तरह कुछ याद नहीं रहता. फिर मुझे याद जाता है. मैं कहता हू वो बुरी यादें थीं. वो पूंछती है कि मेरी गर्लफ्रेण्ड कैसी है. मैं बताता हूं मैं अकेला रहना चाहता हूं. वो कहती है तुम सबको टहला कर छोड़ देते हो. हम चुप हो जाते हैं फिर हम हसने लगते हैं.

वो कहती है कि मैं भुलक्ड़ हूं. मैं कहता हूं कि नहीं मुझे उसे स्कूल से घर लाना याद है, आरके इण्टर कालेज के सामने देर तक इंतजार कराना याद है, तिवारी की दुकान पर गुझिया खिलाना याद है. वो कहती है गुझिया नहीं कोल्ड्रिंक पिलाई थी तुमने. थम्सअप की छोटी वाली बोतल. मैं फिर से हंस देता हूं. मैं चुप रहता हुं. मैं देर तक चुप रहता हूं. मैं फोन काट देता हूं. एक मिनट बाद मैं फिर से फोन मिलाता हूं. वो पूंछती है कि क्या कोई गया था. तो फिर फोन क्यूं काट दिया था. मैं कहता हूकि मेरा मन. वो सोंचती है कि मैं रो रहा था. मैं भी उसे सोंचने देता हूं. वो मुझसे पूंछती नहीं है. मै उसे बताता भी नहीं हूं.

तभी वो फिर से कहती है कि मैं उसके जैसा हो गया हूं. मैं पूंछता हुं कि वो कैसी थी. वो कहती है कि मैं उसके जैसा बनूं. मैं बताता हूं कि मेरा बैलेन्स खत्म होने वाला है. वो कहती है कि उसके मोबाइल में सिर्फ 1 रूपये 11 पैसे हैं. वो मुझे फोन करती है. मैं पूंछता हूं कि उसके जैसा बनने में क्या बुराई है. वो परेशान हो जाती है.

वो कुछ नहीं बोलती. मैं पूंछता हूं कि क्या वो खुद को प्यार नहीं करती है. वो कहती है कि करती है मगर मुझसे ज्यादा नहीं. मैं चुप रहता हूं. उसका फोन कट जाता है. मैं सोचता रहता हूं. मैं गांजा नहीं पीता. मैं सो जाता हूं.



Sunday, March 20, 2011

राह का रोड़ा


राह का रोड़ा,
टकराता है कई क़दमों से,
और  बढ़ जाता है आगे,
उन अनगिनत ठोकरों से.
मीलों चला जाता है सिर्फ ठोकरें खाकर
और फिर आ जाता है
किसी पथिक के नीचे,

या कर देता है जख्मी
राह के किसी राही को.

कई वाहनों को एक पल में तबाह कर देता है
और ले लेता है बदला उन्लाखों ठोकरों का


मगर जब वही रोड़ा
दिखता है किसी शिल्पी को
तो ले आता है वो उसे अपने साथ
और दे देता है उस रोड़े को,
एक ऐसा रूप, जो साकार करता है सपने
लाखों मनुष्यों के
और ख़त्म कर देता है उस सिलसिले को
जो ना जाने कब से चला आ रहा था
भगवान् सा यह रोड़ा बिन वजह ही सबको सता रहा था

Monday, March 7, 2011

International Woman's Day- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस एक प्रस्तुति

International Woman's Day is celebrated on 08 March every year.

 ८ मार्च 2011 यानि आज हमें  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस/International Woman's Day मनाते हुए सौ साल पूरे हो जायेंगे. समूचे विश्व में लाखों व्याखान और सम्मान समारोहों का दौर चरम पर होगा और चीन, अमेरिका, रूस, और मेक्सिको जैसे तमाम देशों में लोग सरकारी छुट्टियों का भरपूर आनंद ले रहे होंगे. भारत भी दुनिया के दूसरे किसी देश से पीछे नहीं रहेगा. सरकार हमें यह बताने से बिलकुल नहीं चूकेगी कि इस देश की राष्ट्रपति महिला है, लोकसभा स्पीकर महिला है, राजधानी की मुख्यमंत्री महिला है, सबसे बड़े राज्य की मुखिया भी महिला ही है. देखा जाये तो देश की सबसे बड़ी पार्टी की सुप्रीमो महिला है और देश के सबसे बड़े विपक्ष की नेता भी एक महिला ही है. भारत आज आठ तारीख को इन उपलब्धियों के साथ देश को यह भरोसा दिलाने में जुटा होगा कि भारत महिला प्रधान देश हो चुका है.... महिलाएं यहाँ हर दिशा में आगे बढ़ रही हैं.

                  ऊपर लिखे हुए नामों को गिनकर सरकार यह भी सिद्ध करेगी कि महिलाओं की स्थिति भारत में सबसे अच्छी है और सबसे अच्छी न सही तो कम से कम सम्माननीय तो जरूर ही है . मगर जब इस महिला प्रधान देश में महिलाओं के नाम पर महिलाओं को ही गुमराह किया जा रहा होगा तब इसबात का जिक्र तक नहीं होगा कि यह वही भारत है जहां सबसे ज्यादा महिलाओं की भ्रूण ह्त्या होती है और जिसके कारण भारत का सेक्स रेसिओ विश्व के 1045 के मुकाबले 927 महिला प्रति 1000 व्यक्ति पर आ गया है . जब हम बता रहे होंगे कि देश के सबसे बड़े राज्य कि मुखिया एक महिला है तो हम यह बताना बिलकुल भूल जायेंगे उस राज्य में महिलाओं कि दशा किस हद तक सोचनीय है. हम यह भी नहीं बताएँगे कि महिला मुख्यमंत्री वाले इस राज्य में महिलाओं का अनुपात 898 क्यूँ रह गया है और इसी राज्य में हर वर्ष लगभग 2000 लडकियां रेप का शिकार क्यूँ हो जाती हैं. हम फक्र करेंगे उस महिला प्रधान देश पर जिसकी राजधानी ही दुनिया की सबसे असुरक्षित लोकतान्त्रिक राजधानियों में से एक है जहाँ हर वर्ष लगभग 600 रेप केसेस रिकार्ड होते हैं. वह राजधानी जिसकी मुखिया भी एक महिला है.

                       अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस/International Woman's Day पर हम इरोम शर्मीला को याद नहीं करेगे जो पिछले दस सालों से लगातार भूख हड़ताल पर है. जिसने हत्या कि वकालत करने वाले क़ानून का विरोध गाँधी के अंदाज में किया और यह भूल गयी कि यह देश अब गाँधी का देश नहीं बल्कि परिवारवादी गांधियों का देश बन गया है. हम नार्थ ईस्ट की उन महिलाओं को भी याद नहीं करेगे जिन्हें इस कदर उत्पीडित किया गया कि वे सड़कों पर नंगे बदन 'इन्डियन आर्मी रेप मी,रेप मी ' चिल्लाते हुए उतर आयीं... क्या उनके उत्पीडन के बारे में हम इंटरनेसनल वीमेंस डे पर बात करेंगे. क्या हमारे पास जेसिका लाल केस और अरुषी हत्याकांड का कोई जवाब होगा? क्या हम ऐसे किसी उदाहरण से इतर कल्पना चावला या किरण बेदी जैसे नामों से ही काम चला ले जायेंगे? क्या हम विमेंस डे को सच में महिला दिवस के रूप में मना सकेंगे? .........मै तो कहूँगा शायद नहीं !!!!!!!!!!!!

About the Post- International Woman's Day. Women, girls in India, Indian girls, data on crime in India, crime in India, international woman's day,

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